Wednesday, September 1, 2010

पुलिस की अधूरी जानकारी के विरूद्ध पत्रकार राजीव कुमार ने सीआईसी की शरण ली

रविन्द्र कुमार द्विवेदी


दिल्ली पुलिस आपके लिए आपके साथ का नारा देने वाली दिल्ली पुलिस को शायद इसका मतलब शायद पता नही है।तभी तो आए दिन दिल्ली पुलिस की कारस्तानी अखबारों में छपती रहती है। दिल्ली पुलिस आम जनता की मदद तो दूर समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को भी अपने सामने कुछ नही समझती है। ऐसे ही एक घटना के तहत एक पत्रकार ने दिल्ली पुलिस की वास्तविकता देखी।

तात्काजलिक हिन्दी पत्रिका भारतीय पक्ष के पत्रकार राजीव कुमार पिछले कई साल से उत्तम नगर के संपत्ति संख्या ए-20 सुभाष पार्क में किराये पर अपने परिवार के साथ रह रहे थे। 22/10/2009 को राजीव के मकान मालिक सुरेश ने राजीव से जानबूझकर नशे में धुत्त होकर फसाद किया व उन्हें घर से निकालकर उनकी पत्नी शिल्पी और एक साल के पुत्र आकाश को बंधक बना लिया। राजीव ने अंत में 100 नंबर पर फोन किया। पीसीआर की गाड़ी आई, राजीव की मदद करने को कौन कहे उल्टे उन्हें डांटने-फटकारने लगी। राजीव ने मिन्नतें की कि मेरे बच्चे व पत्नी की जान खतरे में है। इस पर भी पुलिस वालों का दिल नही पसीजा। वे पुलिसिया रौब दिखाना शुरू कर दिया. इन दोनों में प्रधान सिपाही सिब्बनल चन्द्रा जिसका बेल्टज नंबर 134 पी.सी.आर. है ने डांटते-फटकारते हुए कहा कि हम क्याब करें तुम्हा रे पत्नील और बच्चेप की जान खतरे में है अगर यह मकान मालिक हमारा सर फोड़ दे तो तब क्याे होगा और जो दूसरा प्रधान सिपाही भगवान सिंह जिसका बेल्ट नंबर 6309 पी.सी.आर. है वो घटना स्थ ल पर आया ही नही वह वहीं तिराहे पर वैन लगाकर वहां की रौनक देखने में व्य स्तव था. अंत में ये दोनों पुलिसिया रौब झाड़ते हुए चले गये. सनद रहे कि इन दोनों पुलिसवालों का नाम और बेल्टआ नंबर आर.टी.आई. के तहत पता चला है. बाद में थाना बिन्दापुर से एएसआई राजेन्द्र सिंह आया। वह पत्रकार राजीव कुमार को न्याय दिलाने के बजाय उन्हीं पर भड़क उठा।

राजीव ने खुद को पत्रकार बताते हुए, एएसआई को सारा मामला समझाते हुए उससे अनुरोध किया कि वह उनकी पत्नी व पुत्र को मकान मालिक सुरेश के बंधक से छुड़ाए। राजेन्द्र सिंह ने पत्रकार राजीव कुमार से काफी बत्तमीजी से उसका परिचय पत्र मांगा। राजीव कुमार द्वारा परिचयपत्र देने के बाद भी राजेन्द्र सिंह ने उससे काफी अभद्रता से बात की और परिचयपत्र को अपने जेब में रख लिया। राजीव ने कई बार परिचयपत्र वापस मांगने के बाद एएसआई ने राजीव को फर्जी पत्रकार के जुर्म में जेल में बंद करने की धमकी देते हुए परिचयपत्र वापस कर दिया। बिन्दापुर थाने का यह बद्जुबान एएसआई लगातार मकान मालिक सुरेश का पक्ष लिये जा रहा था, आखिरकार आस-पास के लोगों ने जब एएसआई पर दबाव बनाया तब जाकर कहीं उसने कुछ मजबूरन करीब 12 घंटे के बाद राजीव की पत्नी और उनके बच्चे को सुरेश के चंगुल से मुक्त कराया। राजीव ने इस पूरे घटना की एफआईआर दर्ज करवानी चाही लेकिन राजेन्द्र सिंह ने कोई भी शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया।

फसाद करने वाले मकान मालिक सुरेश कोई काम-काज नही करता है। उसका बस एक मात्र काम शराब, गांजा पीकर अश्लील हरकत करना, गंदी-गंदी गालियां देना है। झगड़े के समय भी सुरेश के पास गांजे की पुड़िया थी लेकिन एएसआई राजेन्द्र सिंह ने राजीव के कहने पर भी उस ओर कोई ध्यान नही दिया। इसके अलावा मकान मालिक सुरेश अपनी भाभी को जलाकर मारने के आरोप में हरियाणा की जेल में सजा भी काट चुका है। आखिरकार राजीव को उनकी पत्नी और बच्चा सकुशल मिल गया लेकिन घर के कुछ अन्य सामान आज तक नही मिल पाये। सामानों में टीवी, सीलिंग फैन, ट्यूबलाइट व अन्य जरूरी दस्तावेज घर में ही रह गया। राजीव कुमार ने मकान तो बदल लिया किन्तु उनका सामान वापस नही मिला राजीव कुमार ने जब सुरेश से अपना सामान मांगा तो उसने राजीव को धमकी दिया कि यदि उसने अपना सामान वापस मांगा तो वो उसे और उसके परिवार को जान से मरवा देगा। अगर धमकी की शिकायत पुलिस से की तो उसके उपर पचास हजार की चोरी का झूठा आरोप लगवाकर जेल भिजवा देगा। सुरेश की ज्यादती और दिल्ली पुलिस की नाइंसाफी से तंग आकर आखिरकार राजीव ने जनसूचनाधिकार अधिनियम 2005 का उपयोग करते हुए दिल्ली पुलिस से घटना की विस्त्रृत जानकारी मांगी, साथ ही अपनी शिकायत कमिश्नर से कर पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों का भी विवरण आरटीआई के तहत मांगा था।

इसके उत्तर में दिल्ली पुलिस कोई सटीक जवाब देने के बजाय गोलमटोल जवाब देकर राजीव को गुमराह करने की पूरी कोशिश की। दिल्ली पुलिस ने सूचना अधिकार के मूल नियमों को ठेंगा दिखाते हुए अधूरा जवाब भेज दिया कि राजीव का कोई भी सामान मकान मालिक के पास नहीं है, उस दिन मकान मालिक से कोई भी झगड़ा नही हुआ था। और मजबूर होकर राजीव ने मामले को केन्द्रीय सूचना आयोग के संज्ञान में लाने हेतु केन्द्रीय सूचना आयुक्त को पत्र भेजा है। उन्हें उम्मीद है कि सूचना आयोग के माध्यम से उन्हें सही जानकारी के साथ न्याय भी मिल सकेगा।

Tuesday, July 27, 2010

पुलिस अपना आचरण सुधारे-द्विवेदी

अखिल भारत हिन्दू महासभा दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी ने पत्रकार राजीव कुमार को जान से मारने की धमकी देने कीशिकायत पर स्थानिय बिन्दापुर पुलिस द्वारा कोई कदम न उठाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि पुलिस अपराधियों को संरक्षण देकर अपने कर्तव्य से विमुख हो रही है। इससे आम जनता के जान-माल की सुरक्षा की गारण्टी से आम जनता का विष्वास उठता जा रहा है।

जारी बयान के अनुसार 22 अक्टूबर, 2009 को पत्रकार राजीव कुमार की पत्नी और उनके नन्हें बेटे को बंधक बनाकर उसके मकान मालिक सुरेष कुमार ने राजीव कुमार को भगा दिया था। सौ नंबर पर फोन करने के बाद 12 घण्टे के बाद स्थानीय एएसआई राजेन्द्र सिंह ने जनता के भारी दबाव के बाद हस्तक्षेप कर उनके पत्नी व बच्चे को सुरेष के बंधक से मुक्त करवाया, लेकिन उनका घर में रखा सामान बाद में दिलवाने का आष्वासन दिया गया। पत्रकार राजीव कुमार ने उसी वक्त किराये का नया मकान ले लिया था। जब राजीव को अपना सामान वापस नही मिला तो उन्होने आर0टी0आई0 एक्ट 2005 के तहत जानकारी मांगी।

पुलिस विभाग से राजीव को भेजी गई जानकारी में मकान मालिक सुरेष के पास उसका कोई सामान नहीं होने और राजीव की षिकायत पर जाँच रिपोर्ट लंबित होने की भ्रमित करने वाली जानकारी देकर सच्चाई को बड़ी सफाई से छिपा लिया। पुलिस विभााग की भ्रमित करने वाली आधी-अधूरी जानकारी के विरूद्ध राजीव ने केन्द्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया है।

श्री द्विवेदी ने जारी बयान में कहा कि पुलिस को आम नागरिकों के प्रति अपना आचरण सुधारना होगा, अन्यथा आम जनता का आक्रोष और जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के प्रति बढ़ती जागरूकता के सामने उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

Monday, July 19, 2010

इस्‍लाम शांति का मजहब है?

इस्‍लाम शांति का मजहब है?


देश की महंगाई सुरसा की तरह मुंह बाये है इसके लिए कौन जिम्मेदार है सोनिया गाँधी जवाब दो ?



महंगाई डायन खाय जात है...

लफ्जों से ज्‍यादा ये चित्र इस सरकार की और महंगाई की वास्‍तविकता को बयां करता है। इसको देखकर साफ हो जाता है कि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ही इस महंगाई को बढाने के लिए जिम्‍मेदार है। और इसकी चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी की चुप्‍पी भी इस महंगाई को बढाने के पक्ष में दिखती है। क्‍यों आजतक उनका एक भी वक्‍तव्‍य महंगाई को काबू में करने के लिए लिए नहीं आया। इसका मतलब की कांग्रेस की अध्‍यक्षा ही इस महंगाई को बढाने के लिए वास्‍तविक जिम्‍मेदार है

Monday, July 12, 2010

नई दिशायें

अंक-1 नई दिशायें


रविन्द्र कुमार द्विवेदी

वातावरण में शाम की कालिमा अपने पंख फैलाने को आतुर थी। पवन का मन्द-मन्द झोंका मौसम को सुहाना बना रहा था। कनाॅट प्लेस के चैराहे पर एक कोने के एकांत में खड़े हमीद और अकबर बातचीत में मशगूल थे। अकस्मात अकबर थोड़ा जोश में आते हुए बोला-

‘अगर तूने ऐसा कर दिखाया तो मैं तुझे मान जाऊंगा, अपना नाम बदल लूंगा।’ हमीद उसकी बात सुनकर खिलखिलाते हुए हँस पड़ता है। हमीद की हँसी अकबर को बहुत चुभती है। वो जोष में होष खोते हुए चीख पड़ता है-

‘चुप, चुप हो जा हमीद।’

हमीद उस पर व्यंग्य कसता है- ‘किस-किस को चुप करायेगा अकबर? तेरी ऐसी बचकानी बात जो भी सुनेगा, तुझ पर बेपनाह हँसेगा।’ हमीद की बात सुनते ही अकबर की आँखें हैरत से फैल जाती हैं। वो अपनी चीख दबाते हुए कहता है-

‘ मैंने ऐसा क्या कह दिया हमीद ’?

हमीद अकबर को गौर से देखते हुए बोला-

‘पहले ये बता, तू अपना कौन-सा नाम बदलने की बात कर रहा है? जल्दी बता।’

‘मेरा एक ही नाम है-अकबर!’

‘लेकिन ये तो पहले से ही बदला हुआ नाम है। फिर इस नाम पर इतना घमण्ड क्यों दिखा रहा है। हुँह........ बदले हुए नाम पर मर्दानगी। अरे, ये मर्दानगी नहीं, नपुंसकता है।’ कहते ही हमीद उसे नफरत से देखता है। अकबर का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। वो गुस्से में काँपते हुए कहता है-

‘मेरे जमीर पर तोहमत मत लगा हमीद, वरना तेरे हक में अच्छा नहीं होगा।’

‘क्या अच्छा नहीं होगा? क्या पहले तेरा नाम राम आसरे नहीं था।?’ हमीद कटाक्ष करते हुए बोला।

‘था, लेकिन तब मैं सनातनी था। अब सच्चा मुसलमान हूँ। खुदा की इबादत करता हूं।’ अकबर बेबाकी से बोला। हमीद के चेहरे पर कुटिल मुस्कान फैल जाती है। वो फिर व्यंग्य कसता है- ‘यानी नाम के साथ मजहब और चेहरा भी बदल जाता है। मूर्तिपूजक, मूर्तिभंजक बन गया। राम आसरे के नाम से मूंछे ऊंची रखने वाला मूंछे नीची करा बैठा। अरे, जो कौम का न रहा, जिसमें वो पैदा हुआ, तो हमारे मजहब से क्या वफादारी दिखायेगा।’

हमीद की बात सुनकर अकबर के मन में तूफान मच जाता है। यह क्या सुन लिया उसनें। वो सच्चे मन से इस्लाम में दीक्षित हुआ मिशनरी वालों ने भरोसा दिलाया कि उनक मजहब में सबको बराबरी का दर्जा मिला हुआ है। लेकिन यह क्या था? यहाँ तो उसका उपहास उड़ाया जा रहा है। क्या यही है बराबरी का दर्जा?

हमीद ने मानो उसके मन के तूफान को समझ लिया। उसने बड़ी कुटिलता से कहा- हाँ, यही है बराबरी का दर्जा। गैर इस्लामियों को इस्लाम में लाने के बाद सबको तुम्हारी जैसा बराबरी का दर्जा दिया जाता है।’

‘तो फिर वो सब्जबाग, जो मुझे दिखाये गये थे?’ अकबर हकबका कर बोला। हमीद पहले से भी ज्यादा कुटिलता से बोला-

‘सब्जबाग न दिखाये जाते तो तुम हमारा मजहब कबूल नहीं करते। अब समझे।’

‘यानी मेरे साथ धोखा हुआ।’

‘तुम्हारे लिये धोखा, लेकिन हमारे लिए मजहब की खिदमत’ हमीद ने फख्र्र से कहा। अकबर के चेहरे पर आते-जाते भावों का जलजला उमड़ेने लगा। उसने मन में सोचा-

‘इतना बड़ा धोखा। हमारे पुरखे सच ही कहा करते थे। यह सब विधर्मी हैं। इन पर कभी विश्वाश नहीं करना चाहिये, लेकिन मैं पुरखों के ये वचन भूल गया। वरना इन जालिमों के हाथ हपना नाम और धर्म कभी न गँवाता।’ हमीद अकबर के चेहरे को पढ़ते हुए बोला-

‘अब सोचकर क्या फायदा अकबर। सोचना था तो हमारा मजहब कबूल करने से पहले सोचते’ अकबर उसकी बात सुनकर गंभीर स्वर में कहता है-

‘सच कहा हमीद, बिलकुल सच कहा। लेकिन तुमने अपने मजहब की खिदमत की जो बात कही, वो मेरी समझ में नहीं आई।

‘तुम अपने पुरखों की बात भूल सकते हो अकबर, लेकिन हम कभी नहीं भूलते।’ हमीद जोशीले स्वर में बोला-

‘जब हिन्दुस्तान आजाद हुआ था तो हमारे पुरखों ने कहा था-‘लड़कर लिया है पाकिस्तान- हँस कर लेंगे हिन्दुस्तान।’

हमीद की बात सुनकर अकबर चैंका उसके मुँह से अकस्मात निकला- ‘क्या?’

हमीद मुस्कुराया और बोला- ‘इसी लिए तो, हम तुम जैसे गैर इस्लामियों पर डोरे डालते हैं। लोभ-लालच देते हैं और अपने मजहब में शामिल कर लेते हैं। हम चाहते हैं कि हिन्द में हमारे मजहब के लोगों की आबादी सनातनियों से अधिक हो जाये। जानते हो न अकबर, तब क्या होगा?’

अकबर का चेहरा हमीद की बातें सुनकर एकदम निस्तेज हो गया। उसे अपने उपर गुस्सा आने लगा कि वो उनके बहकावे में आया ही क्यों? पर अब क्या हो सकता था। सनातनियों ने उसे विधर्मी घोषित करके हमेषा के लिए उससे नाता तोड़ लिया था। इन विधर्मियों के साथ घुटते दम से वो कब तक जी पायेगा? आह! ये उससे कैसा पाप हो गया? अकबर की आत्मा उसे कचोटती हुई लहूलुहान करने लगी। अन्त में अकबर हिम्मत जुटाते हुए बोला-

‘क्या होगा?’

‘हम हिन्दुस्तान में इस्लामी हुकूमत कायम कर देंगे। फिर दिल्ली से लाहौर तक हमारे मजहब की हुकूमत होगी। हिन्द की धरती पर वो ही रहेगा, जो खुदा की इबादत करेगा।’ कहते-कहते हमीद कहकहा लगाने लगा। उसके कहकहे अकबर के कानों में शीषा बनकर पिघलने लगे। उसे लगा कि एक साथ सैकड़ों हमीद कहकहा लगा रहे हैं। उसे अपने कानों में पिघलता शीषा सहन नहीं हुआ। वो अपने दोनों कानों पर हाथ रखकर चीख उठा-

‘बस करो हमीद, बस करो। वरना मैं इसी समय मैं तुम्हारा कत्ल कर दूंगा।’

अकबर के चीखते ही हमीद के कहकहे रूक गये। एकदम सन्नाटा छा गया और घिर आई शाम के सन्नाटे में विलीन होकर वातावरण को बड़ा भयानक बना दिया। अकबर ने अपने कान से हाथ हटाये और हमीद की ओर देखा। हमीद वहाँ से जा चुका था। अकबर की आँखों में आँसू भर आये। उसे सनातन धर्म से कटने पर आत्मग्लानि होने लगी। शायद वो आँसू पष्चाताप के आँसू थे। वो सनातनी होना चाहता था, पर क्या सनातनी विधर्मी को पुनः अपनायेंगे? अकबर एक विचित्र चैराहे पर खड़ा था। चैराहे के सारे रास्ते अंधकार में डूबे हुये थे। उसे कुछ सुझाई नहीं दे रहा था कि वो किस रास्ते पर आगे बढ़े। तभी एक रास्ते से उम्मीद की एक किरण स्वयं उसके पास चलकर पहुँची। उम्मीद की वो किरण दिल्ली उच्च न्यायालय की एक अधिवक्ता संजया शर्मा थी। वो अकबर के पास पहुंची और बोली- ‘मैंने तुम दोनों की सारी बातें सुनी। मेरा विचार है कि तुम पुनः पुराने घर जाने का मन बना चुके हो।’

अकबर ने उस अप्रतिम देवी स्वरूपा को एकटक देखते हुए ‘हाँ’ में गर्दन हिलायी।

‘मार्ग नहीं सुझाई दे रहा।’ वो फिर बोली-

उसकी वाणी से मंत्रमुग्ध अकबर के मुंह से बड़ी मुष्किल से निकला-हाँ.....।

‘मैं जिस रास्ते से आई हूं, उसी रास्ते से आगे बढ़ जाओ’

‘वो रास्ता तो स्वामी नारायण मन्दिर जाता है।’ अकबर बोला।

‘हाँ, मन्दिर के पास हिन्दू महासभा भवन है। भवन में स्वामी चक्रपाणि देव जी महाराज से मिलना। वही तुम्हारा मार्गदर्षन करेंगे। तुम्हारी हर समस्या, हर शंका समाधान है उनके पास। बड़ा ही दिव्य तेज है उनके मुखमण्डल पर। हमस सब उन्हें श्रद्धा और आदर से ‘स्वामी जी’ कहते हैं। अगर उन्हें प्रसन्न करना है तो जाते ही ‘जय हिन्दू राष्ट्र’ के उद्घोष के साथ श्रद्धा से उनके चरण स्पर्ष कना। निष्चित रूप से वो तुम्हारा कल्यांण करेंगे।’

अकबर मानो सोते से जागा और बोला ‘षायद मैंने आपका चेहरा पहले कहीं देखा है। पर कहाँ? याद नहीं आ रहा।’

अकबर की बात पर मुस्कुराते हुए बोली-‘जरूर किसी कोर्ट कचहरी में देखा होगा। मैं एक वकील हूँ।’

वकील सुनकर अकबर चैंका।

‘त-तुम वकील हो। वही वकील जो फोकस चैनल पर फोकस काउंसिल में टी.वी. पर आती है।

‘ओह, तो तुमने मुझे टी.वी. पर देखा है। हाँ, मैं वही हूँ, एडवोकेट संजया।’ संजया ने अपने पर्स से एक विजिटिंग कार्ड निकालकर देते हुए कहा-

‘ये लो, कभी जरूरत पड़े तो मिल सकते हो। और हाँ, और स्वामी जी को मेरा प्रणाम जरूर कहना।’

‘जी, जरूर कह दूंगा।’ अकबर गर्दन हिलाते हुए बोला। लेकिन उसकी प्रतिक्रिया देखे बिना वो जा चुकी थी। अकबर स्वामी नारायण मन्दिर के रास्ते पर चल पड़ा।

बीस मिनट बाद अकबर स्वामी जी के सामने विराजमान था। स्वामीजी बड़े ही ध्यानपूर्वक अकबर की बात ध्यानपूर्वक सुनी और मुस्कुराते हुए बोले-

‘सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नही कहते बच्चा। तुम जीवन के मार्ग पर राह भटक गये थे। लेकिन तुम अब पुनः सही मार्ग पर आ गये हो। तुम्हारा सनातन समाज में स्वागत है। हम तुम्हारा शुद्धिकरण करेंगे।’

‘सच स्वामी जी मैं फिर से सनातनी होने का गौरव पा सकूंगा।’ अकबर खुष होते हुए बोला।

‘अवष्य, तुम्हारा नाम क्या है बच्चा।’ स्वामी जी की अमृत वाणी बरसने लगी अकबर उसमें भीगने लगा। उसके होंठ बरबस ही फड़फड़ा उठे।

‘अ......कबर’

‘भूल जाओ इस नाम को’ ये तुम्हारा छद्म नाम है। हम तुमसे तुम्हारा सनातनी नाम पूछ रहे हैं।’

राम आसरे बाल्मीकि..........

‘ओह... तो तुम बाल्मीकि समाज के गौरव हो।’

‘ज........जी स्वामी जी... ल...लेकिन मैं मार्ग भटक गया था।’

दोनों के बीच वार्तालाप चलता रहा। वार्तालाप के बाद स्वामी जी ने उससे ग्यारह बार गायत्री मंत्र का जाप करवाया। उस पर गंगा जल छिड़क कर उसे शुद्ध किया। अन्य कई वैदिक क्रियाओं के पष्चात अकबर फिर से सनातनी बन गया। उसकी जिन्दगी में फिर से सवेरा हो गया। उसके जीवन को नई दिशा मिल गई।

गतांक से आगे --------

Tuesday, June 22, 2010

आर0टी0आई0 कार्यकर्ता ने केन्द्रीय सूचना आयोग में अपील दायर की

आर0टी0आई0 कार्यकर्ता ने केन्द्रीय सूचना आयोग में अपील दायर की


श्रीराम अधार फाउण्डेशन के आर0टी0आई0 कार्यकर्ता राजीव कुमार(पत्रकार ) ने पुलिस मुख्यालय के
जन सूचना अधिकारी से मांगी गई जानकारी आधा-अधूरी मिलने और वास्तविक तथ्यों को छिपाने का
का प्रयास करने के विरोध में केन्द्रीय सूचना आयोग के जनसूचना आयुक्त के समक्ष अपील दायर की
है।
आज जारी बयान में राजीव कुमार ने बताया कि बिन्दापुर पुलिस ने उनकी शिकायत पर संज्ञान
लेने की जगह उन्हीं को प्रताड़ित किया, जिस पर अखिल भारत हिन्दू महासभा की ओर से पुलिस
आयुक्त को ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन पर पुलिस मुख्यालय द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी पाने
के लिए राजीव कुमार ने आर0टी0आई0 दायर की थी।

राजीव कुमार ने आरोप लगाया है कि उन्हें पुलिस मुख्यालय की ओर से आधी-अधूरी जानकारी
भेजी गई और वास्तविक तथ्यों को छिपाया गया। पुलिस मुख्यालय के जनसूचना अधिकारी से
निराश होकर राजीव कुमार ने केन्द्रीय सूचना आयोग की शरण ली है।

राजीव ने जारी बयान में उम्मीद जताई है कि केन्द्रीय सूचना आयोग के माध्यम से उन्हें सही
जानकारी हासिल होगी। बयान में उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सूचना आयोग भी सही जानकारी
दिलवाने में विफल रहा तो वो दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण लेने पर बाध्य होंगे।