राशन कार्ड बनाने में आधारकार्ड की
अनिवार्यता समाप्त हो, उपरोक्त बातें
रामाधार फाउण्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी व राष्ट्रीय
मीडिया प्रभारी राजीव कुमार ने 10/03/15 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश व 11/03/2015 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व दिल्ली के
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा। उस पत्र में श्री रविन्द्र द्विवेदी व राजीव कुमार ने आगे
लिखा कि दिल्ली के अंदर राशनकार्ड बनाने में जारी दिशा निर्देशों में आधार कार्ड
को अनिवार्य बनाया गया है जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सरासर उल्लंघन है।
दिल्ली में लाखों लोगों ने राशन कार्ड
बनाने के लिये आवेदन किया आधार कार्ड के अभाव में वोटर आई कार्ड, स्कूल आई कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र
अथवा अन्य प्रकार के भारतीय नागरिकता प्रमाणित करने से संबंधित दस्तावेजों को
संलग्न किये किन्तु आधारकार्ड के अभाव में इन दस्तावेजों को अमान्य करते हुये
हजारों नागरिकों को राशनकार्ड से वंचित कर दिया गया।
आगे उस पत्र में रविन्द्र द्विवेदी व राजीव कुमार ने कहा कि जिस
परिवार के मुखिया के नाम आधार कार्ड है किन्तु परिवार के अन्य सदस्यों का
आधारकार्ड किसी कारणवश नही बन सका उस परिवार को जारी राशन कार्ड में केवल मुखिया
का नाम ही अंकित किया गया है जबकि परिवार के अन्य सदस्यों का नाम अंकित नही किया
गया। प्रश्न उठता है कि जिसका आधार कार्ड
नही है या उसे सरकार द्वारा वितरित खाद्यान्न प्रणाली के अधिकार से वंचित किया जा सकता है अथवा सरकार
की दृष्टि में उस नागरिक को भूख नही लगती ?
आगे उस पत्र में रामाधार फाउण्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र द्विवेदी
व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी राजीव कुमार ने केन्द्र व राज्य सरकार के अराजकतावादी
रवैये पर करारा प्रहार करते हुये लिखा कि क्या सरकार की दृष्टि में सर्वोच्च
न्यायालय द्वारा आधार कार्ड की अनिवार्यता को समाप्त किये जाने के आदेश का सरासर
उल्लंघन करना, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना नही ? सरकार के इस आचरण
से दिल्ली के हजारों परिवारों को खाद्य
सुरक्षा के अधिकार से वंचित करना उनके नागरिक अधिकारों का हनन नही। जब खाद्य संभरण
अधिकारियों से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश
पर ध्यान दिलवाया जाता है तो वो नागरिकों को दिल्ली सरकार के आदेश का हवाला देकर
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को बौना साबित कर देते हैं। क्या दिल्ली सरकार का आदेश
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से ऊपर हो सकता है ?
इस पत्र में
रविन्द्र द्विवेदी ने दिल्ली के एक महिला नागरिक का हवाला देते हुये लिखा है कि:
पश्चिम जिला की निवासी शिल्पी जायसवाल पति राजीव कुमार, सी-48, संजय इंक्लेव उत्तम
नगर, नई दिल्ली-110059 ने 01/10/2013 को राष्ट्रीय
खाद्य सुरक्षा उपभोक्ता कार्ड हेतु आवेदन प्रपत्र जमा किया था उस खाद्य प्रपत्र के
साथ 1 : अपना आधार
कार्ड 2 : अपने
पति के आधार कार्ड की छाया प्रति 3 : बिजली के बिल की छाया प्रति 4: अपने बच्चों आकाश व एकता के
जन्म प्रमाण पत्र हेतु स्कूल के आई कार्ड की छाया प्रति 5 : शिल्पी जायसवाल
के मतदाता पहचान पत्र की छाया प्रति 6 : आय प्रमाण पत्र के लिये
एफिडेविट जमा किये थे।
मगर राशन कार्ड में उनके बेटे आकाश व
पुत्री एकता के नाम नही है। ऐसा क्यों किया गया ? यदि आधार कार्ड न रहने के कारण शिल्पी जायसवाल के
पुत्र आकाश व पुत्री एकता का राशन कार्ड में नाम नही डाला गया तो यह सरासर सुप्रीम
कोर्ट के आदेश की अवहलेना है। जब शिल्पी जायसवाल ने आरटीआई के द्वारा जानना चाहा
कि उनके बेटे आकाश व उनकी पुत्री एकता का
नाम राशन कार्ड में क्यों नही डाला गया तो उन्होने राज्य सरकार का हवाला देकर
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का धता बता दिया। उनके पुत्र आकाश व पुत्री एकता का नाम न
डालने वाला खाद्य सम्भरण अधिकारी दिनेश फोन नंबर 25535447 ने उत्तर दिया, आरटीआई में इस अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश
की धज्जियां उड़ाते हुये आरटीआई में जवाब दिया कि किसी भी परिवार के सदस्य को राशन
कार्ड में नाम जोड़ने के लिये आधार कार्ड जरूरी बताया।
रामाधार फाउण्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष
रविन्द्र द्विवेदी ने इस पत्र में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश से प्रार्थना
की है कि ''मान्यवर जन हित में
इस पत्र को पीआईएल के रूप में स्वीकृत कर अपने आदेश की अवमानना को रोकने और अपने
ही आदेश के आलोक में दिल्ली के हजारों-लाखों परिवारों को सरकार द्वारा प्रदत्त खाद्य सुरक्षा अधिकार दिलाने के लिये
अविलंब आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें व श्रीराम आधार फाउण्डेशन को लीखित रूप से
अवगत करायें।’’
रविन्द्र द्विवेदी
(राष्ट्रीय अध्यक्ष, रामाधार फाउण्डेशन)
राशन कार्ड बनाने में आधारकार्ड की अनिवार्यता समाप्त हो
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