Tuesday, December 29, 2015

कुरान पर प्रतिबंध और कमलेश तिवारी की रिहाई के लिए जंतर-मंतर पर हुआ प्रदर्शन


हिन्दू महासभा और साधु-संतों नें आजम खान का पूतला फूंका



                नई दिल्ली, अखिल भारत हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं और साधु संतों ने गत दिनों जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया और उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खान का पूतला फूंका । प्रदर्शनकारी लूट, हिंसा, हत्या, जबरन धर्मांतरण का संदेश देने वाली कुरान पर भारत में प्रतिबंध लगाने, लखनऊ की जेल में रासुका में बंद कमलेश तिवारी को बिना शर्त रिहा कर कमाण्डो शिक्षा देने, आजम खान और ओवैसी को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों का ज्ञापन प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और गृहमंत्री को सौंपा। प्रदर्शन में हिन्दू स्वराज्य सेना और हिन्दू महिला सभा भी शामिल हुई।

जंतर-मंतर पर दोपहर में हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री और रविन्द्र द्विवेदी के नेतृत्व में हिन्दू महासभा कार्यकर्ता और साधू संत एकत्र हुए और इस्लामिक आतंकवाद तथा आजम खान के विरूद्ध जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री रविन्द्र द्विवेदी ने कहा कि कुरान वैश्विक आतंकवाद की जनक हैं। कुरान में काफिर (गैर मुस्लिम) और मुशरिक (मूर्ति पूजक) पर घात लगाकर हमला करने, उन्हें लूटने और हत्या करने का संदेश मिलता है। यह संदेश विश्व शांति एवं सद्भाव के लिए सबसे बड़ा खतरा है। कुरान की ऐसी ही खतरनाक 24 आयतों पर हिन्दू महासभा दिल्ली कोर्ट में पूर्व में मुकदमा जीत चुकी है। उन्होंने भारत में कुरान पर प्रतिबंध लगाने और निर्दोष कमलेश तिवारी को अविलंब रिहा करने की मांग की।

श्री रविन्द्र द्विवेदी ने आगे कहा कि कमलेश तिवारी को समाजवादी पार्टी और मुस्लिम समाज के षडयंत्र के तहत रासुका में गिरफ्तार किया गया है। उसे हिन्दू होने की सजा दी गई है। उन्होने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कमलेश तिवारी रिहा नही किया गया तो हिन्दू महासभा पूरे देश में आंदोलन करेगी। कमलेश तिवारी की फासी की मांग करने वाले देशद्रोही हैं और आईएस नामक खूंखार मुस्लिम आतंकवादी संगठन जिंदाबाद के नारे लगाते हैं । देशद्रोह के आरोप में उन अराजक तत्वों को गिरफ्तार करो।

प्रदर्शनकारियों को बाबा धर्मदास, स्वामी ओम जी महाराज, हिन्दू स्वराज्य सेना के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रविन्द्र भाटी, मदन लाल गुप्ता, राजा किशोर द्विवेदी, अधिवक्ता संजया शर्मा, रोहित राघव, कन्हैया लाल राय आदि अनेंक नेताओं ने संबोधित किया ।

अंत में आजम खान का पुतला फूंका गया। आजम खान को फासी दो, फासी दो के नारे के बीच पुतले को मुखाग्नि रविन्द्र द्विवेदी ने दी।

इस अवसर पर रायपुर से विकल्प सिंह नंदा, लखनऊ से आशा शुक्ला, बिहार से मंगलदास, सुश्री बीना, प्राशु जोशी, सरिता देवी, अमित सिंह पुण्डीर, अनंत शर्मा आदि उपस्थित थे ।


कुरान पर प्रतिबंध और कमलेश तिवारी की रिहाई के लिए जंतर-मंतर पर हुआ प्रदर्शन


http://hinduswarajyasena.blogspot.in/2015/12/blog-post.html

कुरान पर प्रतिबंध और कमलेश तिवारी की रिहाई के लिए जंतर-मंतर पर हुआ प्रदर्शन


http://victimsofpolice.blogspot.in/2015/12/blog-post.html

Sunday, December 27, 2015

28/12/2015 को हिन्‍दू महासभा का भारी प्रदर्शन

कुरान पर प्रतिबंध और कमलेश तिवारी की रिहाई की मांग को लेकर अखिल भारत हिन्‍दू महासभा का भारी प्रदर्शन कल 28/12/2015 को जंतर मंतर पर। आप कल दिन में एक बजे अवश्‍य पहुंचे।


Saturday, November 28, 2015

हिन्‍दू महासभा के आंदोलन से झुकी दिल्‍ली जलबोर्ड



उत्तम नगर, नई दिल्ली। अखिल भारत हिन्‍दू महासभा के आंदोलन से दिल्‍ली जलबोर्ड को झुकना पड़ा । ज्ञात हो कि  अखिल भारत हिन्दू महासभा के महासचिव व जुझारू नेता रविन्द्र द्विवेदी नें दिल्ली जल बोर्ड के भ्रष्टाचार व लापरवाही  की शिकायत भारत के प्रधानमंत्री व दिल्ली के  मुख्यमंत्री से 5/11/2015 को एक पत्र भेजकर की थी । सनद रहे कि उत्तम नगर की निवासी शिल्पी नें तीन-चार साल पूर्व श्री लक्ष्मण गुप्ता पुत्र श्री राधे श्याम गुप्ता से संजय इंक्लेव, उत्तम नगर-59 में स्थित सी-48, संजय इंक्लेव, द्वितीय तल, खरीदा था। यहाँ पानी का कनेक्शन श्री लक्ष्मण गुप्ता के नाम से ही है लेकिन हर महीने का बिल उपरोक्त महिला द्वारा समय पर भर दिया जाता है। 

उपरोक्त महिला को करीब 7-8 महीने से  पानी का बिल जल विभाग द्वारा नहीं मिला जिसके कारण वो पानी का बिल नहीं भर पाई।  अक्टूबर, 2015 के अंत में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा उपरोक्त महिला को जल विभाग, पश्चिम बिहार, 325/ए-8 द्वारा 20 फरवरी, 2015 से 19 अक्टूबर, 2015 तक का पानी का बिल 4686 रूपया का  (करीब-करीब 8 महीनों का बिल) भेजा गया। (बिल आई डीः 849161326691)

उपरोक्त महिला का  इतना अधिक पानी का प्रयोग भी नहीं करती कि उसका पानी का बिल इतना ज्यादा आये वहीं शिकायत करनें वाली महिला  का कहना है कि वह आठ-दस महीने का बिल एक साथ नहीं दे सकती। दिल्ली सरकार द्वारा महीने में 20,000 लीटर तक पानी का प्रयोग करने वालों को पानी का बिल माफ कर दिया है फिर इतना अधिक बिल कैसे और क्यों आया ये जाँच का विषय है ?
            ज्ञात हो कि प्रार्थिनी के पानी की टंकी 500 लीटर की है वह महीने में अधिकतम 15000 लीटर से ज्यादा पानी प्रयोग ही नहीं करती थी, पानी सिर्फ कुछ माह पूर्व दो दिन में एक बार  व अब रोज एक बार शाम को आता है इसलिए प्रार्थिनी पानी सिर्फ दिन में एक बार ही शाम को भरती है और प्रार्थिनी के परिवार में प्रार्थिनी, उसके पति और उसके दो छोटे बच्चे हैं यानी दो छोटे बच्चों को मिलाकर 4 लोग हैं। एक ओर जहां लोगों के अब 35 रूपये पानी के बिल आ रहे हैं उपरोक्त महिला को पश्चिम विहार जल विभाग द्वारा 5000 रूपये के करीब पानी का बिल दिल्ली जल बोर्ड के लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर कर रहा था ।

ये दिल्ली जल विभाग के कर्मचारियों की बहुत बड़ी गलती है कि वे अपने ग्राहक को उचित समय पर बिल नही दिया जिसके चलते किसी गरीब के सामने बिल न भर पाने की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई। वैसे, जल विभाग नें तो ब्याज, चक्रविधि व्याज, आठ महीने बिल न भरने का चार्ज आदि जोड़कर सारे बिल भेजा होगा जिससे इतना भारी भरकम बिल आया  लेकिन दिल्ली जल विभाग की गलती को किसी गरीब का  परिवार  क्यों भुगतें ?

हिन्दू महासभा के महासचिव नें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए आगे इस पत्र में लिखा था  कि  20 फरवरी, 2015 से अब तक कितना पानी का प्रयोग उपरोक्त महिला के परिवार नें  किया है इसकी उच्च स्तरीय जाँच करवाई जाए उपरोक्त महिला के परिवार नें जितना पानी का प्रयोग किया गया है उनसे सिर्फ उतने ही पैसे की वसूली की जाए। उन्होंने अपने पत्र में आगे लिखा है कि  सी-48, संजय इंक्लेव, द्वितीय तल, उत्तम नगर-59 को जो पानी का बिलजल विभाग पश्चिम बिहार, 325/ए-8 द्वारा 20 फरवरी, 2015 से 19 अक्टूबर, 2015 तक का 4686/ (पानी का बिल) रूपया का भेजा गया है। प्रार्थिनी की  आर्थिक परिस्थिति ऐसी नहीं है कि वो जल विभाग द्वारा आठ महीने का भारी भरकम बिल ब्याज सहित भर सकें।

इस पत्र में द्विवेदी नें लापरवाह और भ्रष्ट दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारियों के लिए ये माँग की थी  कि  जल विभाग को कठोर निर्देश दिया जाये कि वो अपने पानी के बिल हर महीने सही समय पर भेजे। पत्र में दोषी जल विभाग के कर्मचारी जिन्होंने आठ महीनें तक उपरोक्त महिला  को कोई बिल को भेजा ही नहीं उनके विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही की मांग की थी  ताकि भविष्य में कोई कर्मचारी इस तरह की गलती करनें की दुःसाहस न करें।

अंत में हिन्‍दू महासभा के कद्दावर नेता रविन्‍द्र द्विवेदी के पत्र पर आनन-फानन में मुख्‍यमंत्री कार्यालय तुरंत हरकत में आ गया। मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आदेश पर दिल्‍ली जलबोर्ड को उपरोक्‍त  मामले को निपटाने का    कठोर आदेश दिया गया। परिणामस्‍वरूप 27 नवंबर, 2015 को दिल्‍ली जलबोर्ड को उपरोक्‍त उत्‍तम नगर की महिला का पानी का बिल जो 5000/- के करीब था घटाकर 689 रूपये कर दिया ।
आज 28 नवंबर, 2015 को मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय से भी उपरोक्‍त महिला को फोन आ गया कि आप वर्तमान पानी के बिल से संतुष्‍ट हैं कि नहीं तो महिला ने सकारात्‍मक उत्‍तर दिया ।
मित्रों, यदि आप के पास भी यदि दिल्‍ली जलबोर्ड का झूठा भारी भरकम बिल यदि आ जाये तो आप अविलंब 09958324981 पर सूचित करें हर संभव आपकी सहायता की जायेगी ।

हिन्‍दू महासभा के आंदोलन से झुकी दिल्‍ली जलबोर्ड

http://www.jansarokaar.com/hindi-du-general-assembly-movement-none-delhi-jalbord.html



Thursday, November 5, 2015

दिल्ली जल बोर्ड के भ्रष्टाचार और लापरवाही की शिकायत प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री से



उत्तम नगर, नई दिल्ली। अखिल भारत हिन्दू महासभा के महासचिव व जुझारू नेता रविन्द्र द्विवेदी नें दिल्ली जल बोर्ड के भ्रष्टाचार व लापरवाही  की शिकायत भारत के प्रधानमंत्री व दिल्ली के  मुख्यमंत्री से 5/11/2015 को एक पत्र भेजकर की है। ज्ञात हो कि उत्तम नगर की निवासी शिल्पी नें तीन-चार साल पूर्व श्री लक्ष्मण गुप्ता पुत्र श्री राधे श्याम गुप्ता से संजय इंक्लेव, उत्तम नगर-59 में स्थित सी-48, संजय इंक्लेव, द्वितीय तल, खरीदा था। यहाँ पानी का कनेक्शन श्री लक्ष्मण गुप्ता के नाम से ही है लेकिन हर महीने का बिल उपरोक्त महिला द्वारा समय पर भर दिया जाता है। 

रविन्द्र द्विवेदी नें अपने पत्र में लिखा कि उपरोक्त महिला को करीब 7-8 महीने से  पानी का बिल जल विभाग द्वारा नहीं मिला जिसके कारण वो पानी का बिल नहीं भर पाई।  अक्टूबर, 2015 के अंत में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा उपरोक्त महिला को जल विभाग, पश्चिम बिहार, 325/ए-8 द्वारा 20 फरवरी, 2015 से 19 अक्टूबर, 2015 तक का पानी का बिल 4686 रूपया का  (करीब-करीब 8 महीनों का बिल) भेजा गया। (बिल आई डीः 849161326691)

द्विवेदी नें इस पत्र में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उपरोक्त महिला का  इतना अधिक पानी का प्रयोग भी नहीं करती कि उसका पानी का बिल इतना ज्यादा आये। वहीं शिकायत करनें वाली महिला  का कहना है कि वह आठ-दस महीने का बिल एक साथ नहीं दे सकती। दिल्ली सरकार द्वारा महीने में 20,000 लीटर तक पानी का प्रयोग करने वालों को पानी का बिल माफ कर दिया है फिर इतना अधिक बिल कैसे और क्यों आया ये जाँच का विषय है ?

          ज्ञात हो कि प्रार्थिनी के पानी की टंकी 500 लीटर की है वह महीने में अधिकतम 15000 लीटर से ज्यादा पानी प्रयोग ही नहीं करती, पानी सिर्फ कुछ माह पूर्व दो दिन में एक बार  व अब रोज एक बार शाम को आता है इसलिए प्रार्थिनी पानी सिर्फ दिन में एक बार ही शाम को भरती है और प्रार्थिनी के परिवार में प्रार्थिनी, उसके पति और उसके दो छोटे बच्चे हैं यानी दो छोटे बच्चों को मिलाकर 4 लोग हैं। एक ओर जहां लोगों के अब 35 रूपये पानी के बिल आ रहे हैं उपरोक्त महिला को पश्चिम विहार जल विभाग द्वारा 5000 रूपये के करीब पानी का बिल दिल्ली जल बोर्ड के लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करता है।

ये दिल्ली जल विभाग के कर्मचारियों की बहुत बड़ी गलती है कि वे अपने ग्राहक को उचित समय पर बिल नही दिया जिसके चलते किसी गरीब के सामने बिल न भर पाने की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई। वैसे, जल विभाग नें तो ब्याज, चक्रविधि व्याज, आठ महीने बिल न भरने का चार्ज आदि जोड़कर सारे बिल भेजा होगा जिससे इतना भारी भरकम बिल आया  लेकिन दिल्ली जल विभाग की गलती को किसी गरीब का  परिवार  क्यों भुगतें ?

हिन्दू महासभा के महासचिव नें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए आगे इस पत्र में लिखा है कि  20 फरवरी, 2015 से अब तक कितना पानी का प्रयोग उपरोक्त महिला के परिवार नें  किया है इसकी उच्च स्तरीय जाँच करवाई जाए उपरोक्त महिला के परिवार नें जितना पानी का प्रयोग किया गया है उनसे सिर्फ उतने ही पैसे की वसूली की जाए। उन्होंने अपने पत्र में आगे लिखा है कि  सी-48, संजय इंक्लेव, द्वितीय तल, उत्तम नगर-59 को जो पानी का बिलजल विभाग पश्चिम बिहार, 325/ए-8 द्वारा 20 फरवरी, 2015 से 19 अक्टूबर, 2015 तक का 4686/ (पानी का बिल) रूपया का भेजा गया है। प्रार्थिनी की  आर्थिक परिस्थिति ऐसी नहीं है कि वो जल विभाग द्वारा आठ महीने का भारी भरकम बिल ब्याज सहित भर सकें।

इस पत्र में द्विवेदी नें लापरवाह और भ्रष्ट दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारियों के लिए ये माँग की है कि  जल विभाग को कठोर निर्देश दिया जाये कि वो अपने पानी के बिल हर महीने सही समय पर भेजे। पत्र में दोषी जल विभाग के कर्मचारी जिन्होंने आठ महीनें तक उपरोक्त महिला  को कोई बिल को भेजा ही नहीं उनके विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही की मांग की है  ताकि भविष्य में कोई कर्मचारी इस तरह की गलती करनें की दुःसाहस न करें।

अंत में रविन्‍द्र द्विवेदी नें  यह भी कहा कि भविष्य में दिल्ली जल विभाग यदि इस तरह पानी का बिल इतने महीनों बाद भेजेगा तो वो अपनी गलती के लिए स्वयं जिम्मेदार होगा न कि दिल्ली का नागरिक।

न्‍युज लिंक :

https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=619690511506712&id=465471200261978&substory_index=0



Saturday, July 25, 2015

मोदी के स्‍वच्‍छता अभियान में आवारा कुत्‍ते बाधक

राजीव कुमार


मोदी के स्‍वच्‍छता अभियान को कौन जमींदोज कर रहा है क्‍या आपको पता है। इस स्‍वच्‍छता अभियान को जमींदोज आवारा कुत्‍ते, बंदर और कुत्ते पालने वाले लोग कर रहे हैं। देश में इन आवारा कुत्‍तों पर लगाम लगाने वाला कोई नही है। जब कोई राहगी किसी परिस्थितिवश देर रात अपने गंतव्‍य पर पैदल जाता रहता है तो उसके  गंतव्‍य पर जाने में ये बड़े बाधक ये आवारा कुत्‍ते होते हैं। ये आवारा कुत्‍ते उस पथिक को काटने से नही चूकते। देश में कई बच्चियों की हृयय विदारक मौत इन आवारा कुत्‍तों के काटने से हुई है। ज्‍यादातर इन आवारा कुत्‍तों के शिकार वृद्ध और बच्‍चे होते है। 

इतना ही नही देश हो या राजधानी जहां-तहां ये आवारा कुत्‍ते गलियों और सड़कों पर गंदगी मचाये रखे हैं फिर भी कोई इन आवारा कुत्‍तों की जनसंख्‍या पर लगाम लगाने वाला नही है। नगर पालिका  हो या नगर निगम इनके कान पर जूं तक नही रेंगता। निगमों के ये अधिकारी अपने कर्तव्‍य का ठीक से पालन तक नही करते। अपने राजधानी दिल्‍ली का ही हाल देखिये जहां-जहां अवैध निर्माण होते हैं वहां निगम के अधिकारियों की पूरी रजामंदी होती है बिना इनकी धन से पूजा किये कोई अवैध निर्माण नही कर सकता लेकिन जहां सामाजिक हित की बात होती है वे उस पर हाथ पर हाथ रख के बैठे रहते हैं। राजधानी में सफाई कर्मचारी सिर्फ प्रमुख सड़कों पर ही सफाई करते हैं छोटी गलियों में तो वे देखते ही नही, कभी-कभी भूले-विसरे झाड़ू लगा दी तो बड़ा एहसान। दुष्परिणाम यह होता है कि कुत्‍तों की गंदगी जहां-तहां फैली रहती है।  दिल्‍ली के उत्‍तम नगर के संजय इंक्‍लेव का ही उदाहरण लेते है यहां तो गंदगी  का राज है। यहां के सफाईकर्मी छोटी गलियों में जल्‍दी झाड़ू लगाते ही नही हैं। यहां के वीआईपी लोग हैं उनके कुत्‍ते रखने के शौक ने और गंद मचा रखा है। इन कुत्‍ते वाले साहबों के घर का अगवाड़ा साफ रहना चाहिये इन कुत्‍तों को जब पोट्टी करवाना होता है तो पड़ोस के किसी छोटी गली में आकर गंद मचवाके  चले जाते हैं क्‍योंकि सफाईकर्मी  इन गलियों को साफ नही करते अगर कोई इन कुत्‍ते पालने वाले सा‍हबजादों को टोका तो ये तपाक से कहते हैं कि यहां न पोट्टी करायें तो क्‍या आसमान में करायें, ये गली पहले से ही गंदी है।  

एनजीओ सोसायटी फॉर पब्लिक कॉज ने दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय में याचिका दायर कर यह मांग की है कि आवारा कुत्‍ते और बंदरों पर लगाम लगाया जाना चाहिये। दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 की धारा 399 के तहत आवारा कुत्तों पर नियंत्रण व नियमन के लिए नगर निगम जिम्मेदार है। सड़क पर आवारा कुत्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए स्वच्छ भारत अभियान में बाधा है। कुत्तों के काटने पर पर्यावरण व वन मंत्रालय पीड़ित या मरने वाले के आश्रितों को समुचित रूप से मुआवजा प्रदान करने के लिए बाध्य है। इसलिये ये आवश्‍यक है कि सभी पालतू कुत्तों का पंजीकरण करना अनिवार्य किया जाए और उनपर कॉलर बैंड और टैग लगाना भी अनिवार्य हो। यदि कोई कुत्ता बिना टैग के पकड़ा जाता है तो उसे जब्त कर उसके मालिका पर जुर्माने का प्रावधान किया जाए। उपरोक्‍त एनजीओ की मांग की जितनी तारीफ की जाये कम है। 

वैसे देखा जाये तो अमेरिका आदि देश में जब कोई कुत्‍ते को बाहर घुमाने निकलता है तो साथ में पोलथीन और बोतल का पानी भी  लेकर निकलता है। यदि  कुत्‍ते ने कहीं पोट्टी कर दी  तो  उसे तुरंत साफ करके वहां पानी डालना पड़ता है। जबकि भारत में कुत्‍ते की  पोट्टी कराने वाले  साहबजादों को कोई टोकने की हिमाकत करता है तो वो लड़ जाते हैं।

इसलिये अब समय की मांग है कि इन आवारा कुत्‍तों पर लगाम लगाया जाय व कुत्‍तों को शौकिया पालने वाले लोग जो सर्वत्र गंदगी फैलाये हैं ऐसों  की जमकर खबर ली जाये। इस संदर्भ में नगर कर्मचारी के अधिकारी लापरवाही करें तो उन्‍हें भी बख्‍शा नही जाना चाहिये। दिल्‍ली के हर गली में हर रोज झाड़ू लगनी चाहिये। वीआईपी लोगों द्वारा कुत्‍तों द्वारा  जहां-तहां पोट्टी कराने पर कड़ी फाइन लगना चाहिये। सरकार को इस तरह गंदगी करवाने वाले लोगों के लिये कड़े प्रावधान तैयार करना चाहिये जिससे देश में चल रहे मोदी जी के सफाई अभियान को एक मुकाम तक पहुंचाया जा सके।


मोदी के स्‍वच्‍छता अभियान में आवारा कुत्‍ते बाधक


http://www.vijayvani.in/blog/2015/07/25/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%B5%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%9B%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%85%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE/

आवारा कुत्‍तों के आतंक को नीचे दिये लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं:


आवारा कुत्‍तों ने 10 वकीलों को काट खाया
आवारा कुत्तों ने बच्ची को काट खाया

आवारा कुत्तों ने कई लोगों को काट खाया


http://www.bhaskar.com/news/HAR-OTH-MAT-latest-hansi-news-023002-1298233-NOR.html

खन्ना में पागल कुत्तों का आतंक, 18 लोगों को काट खाया




कुत्तों ने 15 और लोगों को काट खाया



पागल कुत्ते ने काट खाया राहगीर




पागल कुत्ते ने काट खाया बच्चों को



http://www.navswadesh.org/mp-news/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%9F-%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A4%9A/

Tuesday, June 16, 2015

गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत

राजीव कुमार


            फिल्म निर्माता-निर्देशक व अखिल भारत हिन्दू महासभा के कद्दावर नेता डॉ0 संतोष राय ने कहा है कि गोडसे फिल्म पर अदालत द्वारा एकतरफा प्रतिबंध लगाना पूर्णतया गलत  है अदालत को बिना दूसरे पक्ष का निर्णय सुने बिन अपना निर्णय नही सुनाना चाहिये था।
            डॉ0 संतोष राय ने धमकी दी है कि गोडसे फिल्म को भारत में प्रदर्शित करने के लिये और ऊपर का अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे साथ में इस फिल्म को भारत में प्रदर्शित करने के लिये किसी भी हद तक जायेंगे अगर फिर भी बात नही बनी तो सात समुंदर पार विदेश में ‘‘गोडसे’’ फिल्म को प्रदर्शित करने से किसी भी कीमत पर पीछे नही हटेंगे।
            न्यायालय के इस तरह के एकतरफा निर्णय से सोशल मीडिया में न्यायालय के प्रति लोग अपना रोष प्रकट कर रहे हैं। सोशल मीडिया में लोग इसे न्यायिक भ्रष्टाचार कह रहे हैं।
ज्ञात रहे कि गत बृहष्पतिवार को पुणे की एक अदालत ने नाथूराम गोडसे फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया यह फिल्म 30 जनवरी, 2015 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होनी थी जो कि नही हो सकी। याचिकाकर्ता के मुताबिक इस फिल्म के प्रदर्शन से सांप्रदायिकता फैलेगी।
डॉ0 राय ने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि जब भीष्म साहनी ने देश विभाजन की भीषण विभीषिका पर  ‘‘तमस’’ नामक डोकुमेंटरी बनाई थी तब तथाकथित छद्म धर्मनिरपेक्षवादीगण अदालत जाकर उस पर प्रतिबंध लगाने की  मांग की थी, तब उच्चतम न्यायालयक का एक ऐतिहासिक आदेश आया था और उसमें एक ऐतिहासिक टिप्पणी थी---
"History Can not Be Censored."
 ‘‘इतिहास को प्रतिबंधित नही किया जा सकता।’’

डॉ0 संतोष राय ने गोडसे फिल्म के प्रदर्शन पर रोक से रोष प्रकट करते हुये कहा कि नाथूराम गोडसे यदि गलत थे तो अदालत में दिये गये उनके बयान को इतने दिनों तक नेहरू ने क्यों प्रतिबंधित करा रखा था। उनके बयान को निकलवाने के लिये हिन्दू महासभा को क्यों अदालत का रास्ता चुनना पड़ा।
डॉ0 संतोष राय ने आगे कहा कि आज की युवा पीढ़ी जान गई है कि भारत का बंटवारा क्यों और किसने किया ? फिर भी यदि धर्म के आधार पर देश को जब बांटा गया फिर भी मुसलमानों को देश में किसने रोकवाया। गोडसे एक महान् राष्ट्रभक्त थे इसे नकारा नही जा सकता। याद रहे कि सूर्य के सामने बादल आने से सूर्य का अस्तित्व नही समाप्त होता, हां मूर्ख लोग अवश्य कहते हैं कि सूर्य का अस्तित्व नही है।

 ‘‘गोडसे’’ फिल्म देश में ही नही बल्कि पूरे विश्व में प्रदर्शित होगी उस पर कोई भी प्रतिबंध लगाना इतिहास की सच्चाइयों को नकारना है। आज की युवा पीढ़ी में इस तरह के प्रतिबंध से उसके रक्त में और उबाल आयेगा जो कि तथाकथित छद्म मुखौटा लगाये ढोंगी, गद्दार सेकुलरों के लिये बहुत मंहगा पड़ेगा।

Thursday, May 7, 2015

इन्होंने एक विधवा का जीना दुःश्वार कर दिया है

राजीव कुमार

शासन-प्रशासन ने एक विधवा का जीना दु:श्वार कर दिया है। उर्मिला जायसवाल मौजा खैरूद्दीनगंज (शिवाजी नगर), मकान नं0-15, थाना व कस्बाः मडि़याहूं की रहने वाली एक गरीब विधवा महिला हैं। उर्मिला जायसवाल के पति स्व0 राम दुलार गुप्ता नगर पंचायत मडि़याहूं में ट्युबेल ऑपरेटर के पद पर रहते हुये 23/03/2014 को मृत्यु को प्राप्त हुये। प्रार्थिनी के पति राम दुलार की मृत्यु के बाद उर्मिला जायसवाल को अपनी आजीविका चलाने में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उर्मिला जायसवाल  अपने पति जो मडि़याहूं नगर पंचायत के अधीन ट्युबेल आपरेटर के पद पर कार्यरत थे, के आकस्मिक मृत्यु से अत्यंत दुःखी हैं व वर्तमान में उसे आजीविका का कोई रास्ता नही है। एतएव यदि उर्मिला जायसवाल को उसके पति के स्थान पर नौकरी दे दी जाती है तो उसे अपनी और अपने पुत्र की आजीविका की समस्या का हल निकल जायेगा।
प्रार्थिनी उर्मिला जायसवाल का एक सौतेला बेटा राकेश कुमार जायसवाल उर्फ ननकू है जो एक खूंखार अपराधी किस्म का नशे का आदी बिगड़ैल किस्म का इंसान है। वह हमेंशा प्रार्थिनी को मानसिक रूप से प्रताडि़त करता रहता है राकेश उर्फ ननकू  प्रार्थिनी को अक्सर गंदे व घिनौने गालियां देकर अपमानित करता रहता है इतना ही नही कई बार वह प्रार्थिनी को जान से मारने की धमकियां दे चुका है।
राकेश कुमार जायसवाल उर्फ ननकू सड़क पर की दुकान अपने पिता से पहले ही ले चुका है जिसकी कुल कीमत 17 लाख थी यहां तक की उस राकेश ने बाप-दादा की पुश्तैनी जमीन पहले ही हथिया चुका है अब वह प्रार्थिनी के मकान व अपने पिता के मृत्यु के बाद उनकी नौकरी को हड़पना चाहता है, जिसके लिये वह अनेकों षडयंत्र कर रहा है, उसने कई अधिकारियों को पैसा खिलाकर अपने तरफ कर लिया है पुलिस में शिकायत करने के बाद भी पुलिस कोई कार्यवाही नही कर रही है। 20/11/2014 को राकेश उर्फ ननकू उर्मिला जायसवाल को मारने के लिये घर का दरवाजा तोड़ रहा था  जिसकी उन्होने 21/11/2014  को जौनपुर पुलिस अधीक्षक को शिकायत भी की, 28/11/2014 को तहसील में सी00 ने उन्हें बुलाया की उनसे पूछताछ की जायेगी मगर वे सादे कागज पर विधवा को डरा धमकाकर हस्ताक्षर करवा लिये जो यह साबित करता है कि शासन-प्रशासन रिश्वत के दबाव में ननकू से मिला हुआ है। प्रार्थिनी ने कई बार पुलिस प्रशासन से शिकायतें की मगर मडि़याहूं के रिश्वतखोर पुलिस के आगे प्रार्थिनी बेबश और लाचार हो जाती है।

अपने पति राम दुलार गुप्त की मृत्यु के बाद से प्रार्थिनी उर्मिला दर-दर की ठोकरें खा रही है लेकिन बड़े दुःख की बात है कि उसके पति के विभाग में  काम करने वाले कुछ अधिकारी प्रार्थिनी के बेबसी और लाचारी का भरपूर लाभ उठाना चाहते हैं वे प्रार्थिनी के इस दुःखद घड़ी में उसके उसके मृतक पति के नौकरी के बदले में लाखों रूपये ऐंठ लेना चाहते हैं। ऐसे ही यहां एक नाम का खुलासा किया जा रहा है जिसे सुनकर आप चैंक जायेंगे।
नगर पंचायत मडि़याहूं, जौनपुर, उप्र में बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव हेड क्लर्क के रूप में कार्यरत है। वह काफी समय से प्रार्थिनी के सौतेले बेटे राकेश उर्फ ननकू से मिला है और वह उसी के प्रभाव में काम कर रहा है। यह राधेश्याम श्रीवास्तव स्व0 राम दुलार की पत्नी उर्मिला जायसवाल के नौकरी पाने, फण्ड, पेंशन आदि में हर तरह से तमाम तरह के रोड़े अटका रहा है।
उर्मिला जायसवाल के पति राम दुलार गुप्ता जब नगर पंचायत मडि़याहूं, जौनपुर के अधीन अपने पद पर कार्यरत थे तो एक दिन अचानक बहुत दुःखी होकर उन्होने अपनइ पत्नी उर्मिला जायवाल से कहा था कि बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव (हेड क्लर्क)  फण्ड, बीमा, पेंशन आदि का कागजी कार्यवाही करने के लिये कुल 25000/ की राशि रिश्वत के तौर पर मांग रहा है। उर्मिला के मुताबिक यह मांमला करीब डेढ़-दो साल पूर्व का है।
इतना ही नही प्रार्थिनी अपने पति के मृत्यु के बाद बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव (हेड क्लर्क) से मिली तो उन्होने कहा कि तुम्हारे पति स्व0 रामदुलार ने मुझसे पचीस-पचीस हजार रूपये व कुल एक लाख रूपये चार किश्तों में लिये थे अगर तुम हमें चारों किश्त यानी एक लाख रूपये वापस कर दोगी तो हम तुम्हारा सारा काम: नौकरी, फण्ड, पेंशन आदि अविलंब कर दूंगा लेकिन उर्मिला जायसवाल के मुताबिक उनके पति कभी किसी से उधार लिये ही नही थे यदि लिये होते तो वे हमें अवश्य बताते।
विधवा उर्मिला जायसवाल के स्व0 पति रामदुलार गुप्त ने ट्युबेल ऑपरेटर पद रहते हुये सर्विस बुक में नामिनी के रूप में नाम दर्ज करने के लिये  टाइप राइटर से टाइप करवाकर अपनी बेटी सरिता व पत्नी उर्मिला जायसवाल का नाम हेड क्लर्क राधेश्याम श्रीवास्तव को दिया था मगर उस हेड क्लर्क ने गंदी नियत से गड़बड़ घोटाले करने के लिये उपरोक्त नाम सर्विस बुक में उस दौरान दर्ज नही किये।
उर्मिला जायसवाल का आरोप है कि उपरोक्त विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा जानबूझकर यह दबाव बनाया जा रहा है कि  उर्मिला जायसवाल अपने स्व0 पति की नौकरी न करें वो उस नौकरी को अपने सौतेले बेटे को सुपुर्द कर दें।
उर्मिला के मुताबिक उसके स्व0 पति रामदुलार का उनके नगर पंचायत विभाग द्वारा करीब 4 लाख का बीमा कराया गया था लेकिन उसका कोई बॉण्ड नही दिया गया ।
बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव (हेड क्लर्क) ने विधवा उर्मिला को अपमानित करने में कोई कोर-कसर नही छोड़ी है। कई बार उसने प्रार्थिनी को अपशब्द बोले, गंदी-गंदी गालियां दी। यह राधेश्याम विधवा के पारिवारिक मामले जमीन-जायदाद में भी शुरू से ही हस्तक्षेप करता था, यह हेड क्लर्क श्रीवास्तव उर्मिला के सौतेले बेटे राकेश कुमार जायसवाल उर्फ ननकू से पैसे के लालच में मिला है। इसने कई बार प्रार्थिनी को रंडी-वैश्या, बदमाश जैसे गंदे शब्दों से प्रार्थिनी को अपमानित किया है लेकिन प्रार्थिनी उसके गंदे-घिनौने गालियों को चुपचाप सहती रही लेकिन इस भ्रष्ट राधेश्याम के अत्याचारों को सहते-सहते प्रार्थिनी के सब्र का बांध टूट गया है इतना ही नही यह हेड क्लर्क प्रार्थिनी के सौतेले बेटे राकेश उर्फ ननकू से जा मिला है, यह उसके साथ मिलकर प्रार्थिनी उर्मिला की हत्या तक करवा सकता है।
यह बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव, उर्मिला का सौतेला पुत्र ननकू व अन्य लोगों के साथ मिलकर प्रार्थिनी के बारे में यह अफवाह मचा रहे हैं कि प्रार्थिनी उर्मिला जायसवाल स्व0 रामदुलार गुप्ता की पत्नी नही थी मगर विधवा उर्मिला के पास ऐसे ढेर सारे प्रमाण हैं जिससे यह प्रमाणित होता है कि प्रार्थिनी उर्मिला स्व0 रामदुलार की पत्नी है मगर नगर पंचायत मडि़याहूं, जौनपुर, उप्र में कार्यरत राधेश्याम श्रीवास्तव (हेड क्लर्क) जैसे भ्रष्ट अधिकारी जानबूझकर एक गरीब, लाचार और वेबस विधवा को परेशान कर रखा है वे जानबूझकर ऐसे-ऐसे प्रमाण मांग रहे है जिससे प्रार्थिनी उसीमें उलझकर अपना जीवन गंवा दे।
     प्रार्थिनी उर्मिला जायसवाल का स्व0 रामदुलार गुप्त की पत्नी होने का प्रथम प्रमाण एलआई बीमा है जो उसके पति ने कराया था जिसमें उर्मिला देवी उनकी पत्नी नामिनी के रूप में थी यह बीमा पालिसी संख्या: 2880 34610 है। (बीमा पालिसी की रसीद की छाया प्रति संलग्न)।
     दूसरा प्रमाण राशन कार्ड है जिसमें प्रार्थिनी उर्मिला जायसवाल मुखिया स्व0 रामदुलार गुप्त की पत्नी के रूप में है। (राशन कार्ड की छाया प्रति संलग्न)।
     तीसरा प्रमाण भारत निर्वाचन आयोग का पहचान पत्र है जिसमें प्रार्थिनी उर्मिला के पति स्व0 रामदुलार हैं। (पहचान पत्र की छाया प्रति संलग्न)।
     चैथा प्रमाण गोमती ग्रॉमीण बैंक का खाता जिसमें प्रार्थिनी उर्मिला के पति रामदुलार हैं। (बैंक पास-बुक की छाया प्रति संलग्न)।
     पांचवा प्रमाण स्व0 रामदुलार गुप्त के साथ प्रार्थिनी उर्मिला द्वारा पूजा-अर्चना के समय की तस्वीर (फोटो संलग्न) जिसमें प्रार्थिनी की बेटी सरिता भी मौजूद है।
      छठां सबसे बड़ा प्रमाण मरने से पूर्व रामदुलार गुप्त का वसीयतनामा (वसीयतनामा की छाया प्रति संलग्न) जिसमें उन्होने मैं सोच-समझकर पूरे होश-हवाश में लिखा है कि उनकी दूसरी पत्नी उर्मिला जायसवाल उनके मरने के बाद मालिक होंगी इस वसीयतनामा में स्व0 रामदुलार ने अपना घर, पेंशन, फण्ड, बैंकों में जमा धन राशि की मालिक उर्मिला जायसवाल को बनाया है। इस वसीयतनामा में आगे लिखा है कि रामदुलार की पहली पत्नी शकुंतला देवी के लड़कों से हमारी संपत्ति से कोई सरोकार नही रहेगा, यह वसीयतनामा 29/03/2010 को लिखी गई थी।
इतने सारे प्रमाण देने के बावजूद क्या अब भी उर्मिला जायसवाल को अपने स्व0 पति के स्थान पर नौकरी पाने के लिये और भी प्रमाण देने की आवश्यकता है। इन भ्रष्ट व रिश्वतखोर अधिकारियों के गठजोड़ देखिये कि जब नगर पंचायत मडि़याहूं कार्यालय ने स्व0 रामदुलार की पत्नी होने के लिये प्रार्थिनी उर्मिला से निकट संबंधी प्रमाण पत्र मांगा तो मडि़याहूं के कानून गो ने 500 रूपये का सुविधा शुल्क लेने के बावजूद निकट संबंधी प्रमाण पत्र नही बना के दिया बल्कि प्रार्थिनी के सौतेले पुत्र राकेश जायसवाल उर्फ ननकू की पैरवी किया जब दिल्ली के कुछ पत्रकार उस भ्रष्ट कानून गो से प्रश्न पर प्रश्न किये तब जाकर विधवा का निकट संबंधी प्रमाण पत्र बना।
विधवा  उर्मिला जायसवाल को उनके स्व0 पति रामदुलार गुप्त के स्थान पर उन्हें तुरंत नौकरी क्यों नही दिया जा रहा है इस दौरान वो अपनी आजीविका के लिये क्या करे ? शासन-प्रशासन को उनके साथ हो रहे अन्याय को रोकना चाहिये जिससे वे समाज में सही तरह से गुजर-बसर कर सकें।

इन्होंने एक विधवा का जीना दुःश्वार कर दिया है
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